Tuesday 12 June 2018

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चाणक्य के अनमोल विचार

चाणक्य का जन्म एक घोर निर्धन परिवार में हुआ था. अपने उग्र और गूढ़ स्वभाव के कारण वे ‘कौटिल्य’ भी कहलाये. उनका एक नाम संभवत: ‘विष्णुगुप्त’ भी था. चाणक्य ने उस समय के महान शिक्षा केंद्र ‘तक्षशिला’ में शिक्षा पाई थी. 14 वर्ष के अध्ययन के बाद 26 वर्ष की आयु में उन्होंने अपनी समाजशास्त्र, राजनीती और अर्थशास्त्र की शिक्षा पूर्ण की और नालंदा में उन्होंने शिक्षण कार्य भी किया. वे राजतंत्र के प्रबल समर्थक थे.

चाणक्य नीति : छठवां अध्याय

  • राजा, ब्राह्मण और तपस्वी योगी जब दुसरे देश जाते है, तो आदर पाते है. लेकिन औरत यदि भटक जाती है तो बर्बाद हो जाती है.
  • सर्व शक्तिमान के इच्छा से ही बुद्धि काम करती है, वही कर्मो को नियंत्रीत करता है. उसी की इच्छा से आस पास में मदद करने वाले आ जाते है.
  • काल सभी जीवो को निपुणता प्रदान करता है. वही सभी जीवो का संहार भी करता है. वह जागता रहता है जब सब सो जाते है. काल को कोई जीत नहीं सकता.
  • जो जन्म से अंध है वो देख नहीं सकते. उसी तरह जो वासना के अधीन है वो भी देख नहीं सकते. अहंकारी व्यक्ति को कभी ऐसा नहीं लगता की वह कुछ बुरा कर रहा है. और जो पैसे के पीछे पड़े है उनको उनके कर्मो में कोई पाप दिखाई नहीं देता.
  • राजा को उसके नागरिको के पाप लगते है. राजा के यहाँ काम करने वाले पुजारी को राजा के पाप लगते है. पति को पत्नी के पाप लगते है. गुरु को उसके शिष्यों के पाप लगते है.

अपने ही घर में व्यक्ति के ये शत्रु हो सकते है...

  1. उसका बाप यदि वह हरदम कर्ज में डूबा रहता है.
  2. उसकी माँ यदि वह दुसरे पुरुष से संग करती है.
  3. सुन्दर पत्नी
  4. वह लड़का जिसने शिक्षा प्राप्त नहीं की.
  • एक बेकार राज्य का राजा होने से यह बेहतर है की व्यक्ति किसी राज्य का राजा ना हो.
  • एक पापी का मित्र होने से बेहतर है की बिना मित्र का हो. एक मुर्ख का गुरु होने से बेहतर है की बिना शिष्य वाला हो. एक बुरीं पत्नी होने से बेहतर है की बिना पत्नी वाला हो.
  • एक बेकार राज्य में लोग सुखी कैसे हो? एक पापी से किसी शान्ति की प्राप्ति कैसे हो? एक बुरी पत्नी के साथ घर में कौनसा सुख प्राप्त हो सकता है. एक नालायक शिष्य को शिक्षा देकर कैसे कीर्ति प्राप्त हो?
  • बुद्धिमान व्यक्ति अपने इन्द्रियों को बगुले की तरह वश में करते हुए अपने लक्ष्य को जगह, समय और योग्यता का पूरा ध्यान रखते हुए पूर्ण करे.

शेर से एक बात सीखे. मुर्गे से चार. कौवे से पाच. कुत्ते से छह. और गधे से तीन.

शेर से यह बढ़िया बात सीखे की आप जो भी करना चाहते हो एकदिली से और जबरदस्त प्रयास से करे.

मुर्गे से यह चार बाते सीखे...

१. सही समय पर उठे. 
२. नीडर बने और लढ़े. 
३. संपत्ति का रिश्तेदारों से उचित बटवारा करे. 
४. अपने कष्ट से अपना रोजगार प्राप्त करे. 

कौवे से ये पाच बाते सीखे...

१. अपनी पत्नी के साथ एकांत में प्रणय करे. 
२. नीडरता 
३. उपयोगी वस्तुओ का संचय करे. 
४. सभी ओर दृष्टी घुमाये. 
५. दुसरो पर आसानी से विश्वास ना करे. 

कुत्ते से ये बाते सीखे

१. बहुत भूख हो पर खाने को कुछ ना मिले या कम मिले तो भी संतोष करे. 
२. गाढ़ी नींद में हो तो भी क्षण में उठ जाए. 
३. अपने स्वामी के प्रति बेहिचक इमानदारी रखे 
४. नीडरता. 

गधे से ये तीन बाते सीखे.

१. अपना बोझा ढोना ना छोड़े. 
२. सर्दी गर्मी की चिंता ना करे. 
३. सदा संतुष्ट रहे. 
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